चौराहा
कौन सी राह चुनें
असमंजस के चौराहे पर खड़े
नहीं सोच पाते हैं हम
अतीत की कुछ हसीन यादें
कुछ खट्टे मीठे अनुभव
बीते कल से जुड़ाव
अतीत के धागों में उलझे
अपने आज को ही नहीं जी पाते हम
आ गया है उम्र का वह पड़ाव
आगे बढ़ने से पहले ही
बंधी बंधी हो जाती है चाल
नहीं बटोर पाते
आने वाले कल की
चुनौतियों का सामना
करने का साहस
जाने क्या रहस्य छुपे हों
भविष्य की आगोश में
भूत, वर्तमान और भविष्य के
ताने, बाने में जकड़े
अपने इर्द गिर्द व्यवस्तता के
अपने ही बनाये जाल में
मकड़ी से उलझे
मुक्त गति की राह अब
हमें ही बनानी होगी
अतीत के कुछ यादगार लम्हें
वर्तमान के कुछ स्वर्णिम पल
भविष्य की कुछ योजनाएँ
सहेज कर अपने पाथेय में
आगे बढ़ता चल
ओ! राही
राह तुम्हे खुद राह देगी
मंज़िल तक पहुँचने की
रजनी छाबड़ा
बहु भाषीय कवयित्री व् अनुवादिका