Wednesday, October 16, 2024

बीजी को समर्पित


 बीजी को समर्पित 

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आपका मातृत्व 

 जिस के  स्नेह का 

न कोई ओर -छोर 

निश्छल प्रेम से करती 

सभी को आत्म-विभोर 


कौन समझायेगा हमें अब 

जीने  के दस्तूर 

ज़िंदगी का अक्स दिखाने वाला 

आईना न रहा 

घर आँगन में 

प्यार-बयार महकाने वाला 

वट-वृक्ष न रहा/


रजनी छाबड़ा 

15 /10 /2024  





Friday, September 27, 2024

विलुप्त



विलुप्त 

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 वक़्त की ठहरी हुई झील में 

जमने लगी है काई 

विलुप्त होती जा रही 

अतीत की परछाई 


रजनी छाबड़ा 

२७/९/२०२४ 

भोर की पहली किरण


 लम्बे अर्से के बाद रची गयी एक कविता आप सभी सुधि  पाठकों के साथ सांझा कर रही हूँ /आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी/


भोर की पहली किरण 

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 मैं कोई कवि नहीं 

महसूस करो मेरे भावों को 

और रच दो कविता 


मैं  कोई गीतकार नहीं 

गुनगुनाओ मुझे 

और गीत बना दो 


मैं  कोई शिल्पकार नहीं 

कच्ची माटी हूँ 

घड़ लो मुझे 


बहना चाहती हूँ 

गुनगुनाते झरने सा 

अवरोधों को हटाओ तुम 


उड़ना चाहती हूँ 

उन्मुक्त पाखी सी 

पिंजरा बनाना छोड़ दो तुम 


टिमटिमाते तारों सी 

मेरी ज़िंदगी के आकाश पर 

उजला चाँद बन आओ तुम 


अमावसी निशांत 

की आस 

भोर की पहली किरण 

बन जाओ तुम  /

@रजनी छाबड़ा 

27/9/2024



Wednesday, June 26, 2024

असर

 


असर 

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रेत सुबह से लेकर 

रात के आख़िरी प्रहर तक 

कई रंग बदलती 


सूरज के संग रहती 

सुनहरी रंगत पाती 

पूरा दिन 

तपती -सुलगती 


चाँद के संग रहती 

पूरी रात 

ठंडक  पाती 

ठंडक बरसाती     


  झरना बहता जब पहाड़ों से 

  उजली रंगत लिए 

 शीतल, मीठे  जल से 

  सबकी प्यास बुझाये 

  

पहुंचता जब मैदान में 

नदी के स्वरूप में 

वही पानी गंदला हो जाये 

झरने का पानी 

अपनी मिठास गंवाए 


सोन -चिरैय्या उड़ती जब'

खुले आसमान में 

आज़ादी के गीत गुनगुनाये 

क़ैद हो जाये जब पिंजरे में 

सभी गीत भूल जाए/

- रजनी छाबड़ा

Friday, June 14, 2024

बहुत फर्क है

 बहुत फर्क है अश्क बहाने और अश्क पीने में

बहुत फर्क है सांस लेने और जीने में
आँखों से उमड़े जो अश्क, देखे दुनिया ने
उन ज़ज्बात का क्या, जो घुमड़ते हैं सीने में
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MY HINDI POEM WITH MAITHLEE TRANSLATION BY Dr. SHEO KUMAR


बड अन्तर छैक नोर बहाब आ नोर पिबा मे
बड अन्तर छैक सांस लेब
आरो जीबा मे
आँखि मे उमरति नोर
त' दुनियाँ देखए
मुदा जरैत भाब कें की करबै
जे घुमरएत रहि जाएत छैक
सीना मे।