तुम्हारी वसीयत
सहेज कर रखूँगी
वतन की आन की ख़ातिर
जो शौर्य की वसीयत
तुम मेरे नाम कर गए
मुस्कुरा कर सहूँगी
वक़्त का हर सितम
देशभक्ति का जज़बा
कभी न होगा कम
शहादत के जो फूल
डाले तुमने मेरे आँचल में
उनकी खुशबू से
महकेगा वतन
मैं ही जीजाबाई
मैं ही अमर सिंह राठौड़ की माँ
लोरी की जगह
सुनाऊँगी बेटों को
शहादत की दास्तान
फिर से आँच आई
ग़र देश की आन पर
और माँगा
धरती माँ ने बलिदान
वतन की शान पर
कर दूँगी हॅंसते हॅंसते
अपने लाडले क़ुर्बान
जो जान देते हैं
वतन की राह पर
छोड़ जाते हैं
क़ुरबानी के
नक़्श-ए -पाँ
जिन पर चल कर
नयी पीढी रखती क़ायम
आज़ाद वतन, आज़ाद जहान
सहेज कर रखूँगी
वतन की आन की ख़ातिर
जो शौर्य की वसीयत
तुम मेरे नाम कर गए
मुस्कुरा कर सहूँगी
वक़्त का हर सितम
देशभक्ति का जज़बा
कभी न होगा कम
शहादत के जो फूल
डाले तुमने मेरे आँचल में
उनकी खुशबू से
महकेगा वतन
मैं ही जीजाबाई
मैं ही अमर सिंह राठौड़ की माँ
लोरी की जगह
सुनाऊँगी बेटों को
शहादत की दास्तान
फिर से आँच आई
ग़र देश की आन पर
और माँगा
धरती माँ ने बलिदान
वतन की शान पर
कर दूँगी हॅंसते हॅंसते
अपने लाडले क़ुर्बान
जो जान देते हैं
वतन की राह पर
छोड़ जाते हैं
क़ुरबानी के
नक़्श-ए -पाँ
जिन पर चल कर
नयी पीढी रखती क़ायम
आज़ाद वतन, आज़ाद जहान
रजनी छाबड़ा