Tuesday, January 21, 2025

गहरा राज़

 गहरा राज़ 

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सुफ़ने किसे दी 

इज़ाजत नाल नहि आंदे 

न ही सुफनियां ते 

 किसे दा पहरा 


बिना पंखां दे 

किवें पहुंचा देंदे 

सतरंगी दुनियां वेच 

राज़ हे एह डाढा गहरा /


रजनी छाबड़ा  

रिश्ता

 

रिश्ता

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मन ते अखां 

दे वेच 

गूढ़ा रिश्ता हे 


मन दा नासुर 

अखां तुं 

हंजु बण 

रिसदा हे /


रजनी छाबड़ा