Friday, January 24, 2025

संझिआ दे अँधेरे वेच


संझिआ  दे अँधेरे वेच 

****************

 संझिआ 

दे झुटपुट

 अँधेरे वेच 

दुआ वास्ते हथ जोड़ 

किया मंगणा 

टुट्दै होए तारे तुं 

जो अपणा ही वज़ूद 

नयि रख सकदा क़ायम 


मंगणा ही हे, तां मंगो 

डुबदे हुए सूरज तुं 

जो अस्त हो के वी 

नहीं थिंदा पस्त 

अस्त थिंदा हे ओ 

हक नवे सवेरे वास्ते 

अपणी सुनहरी किरणा नाल 

रोशन करण वास्ते 

सारी ख़ुदाई /


रजनी छाबड़ा 

तुसां ही दसो

 तुसां ही दसो 

***********

मैडी नेंदर कुं पंख लगे जदों 

किया तुहाडी वी नाल 

उड़ा लै  गयी


या फ़ेर उन्दरियाँ रातां वेच 

तारे गिनण दी रस्म 

में हेक्तरफा निभा गयी /


रजनी छाबड़ा 

मेले वेच एकले

मेले वेच एकले 

***********

निगाहां दे आख़िरी सिरे तायीं 

जद बैचैन निगाहां तलाशदियां हेन तैंकु 


और तुसां किथे वी विखाई नहीं  देंदे आस पास

हौर वी गहरा थी वेंदा है, मेले वेच एकले 

भीड़ वेच तनहाई दा  एहसास /


रजनी छाबड़ा