Wednesday, January 29, 2025

बोतलबंद पाणी

 बोतलबंद पाणी 

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साफ़- सुथरे, ठन्डे पाणी वाले 

भरे -पुरे थींदे दरिया 

ओ पाणी दी मिठास 

असां कदे भुल  नहीं सकदे 


मुसाफ़रां वास्ते 

पियाऊ लगाएं वेंदे 

होण नयि मिलदा 

पियार रचिया 'गुड़ धानी '

ते बेमोल पाणी 


बदले महौल 

आ गया हे 

बोतलबंद पाणी 

नवे दौर दी 

इहो कहाणी /


रजनी छाबड़ा 




साडी रुक्सती तुं बाद 

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 इवेन वी किया जीवणा कि 

ज़िंदा रेहवणा मज़बूरी लगे 


क्यूँ न कर वंजिये 

कुझ इहो जया कि 

साडी रुक्सती तुं बाद 

एह दुनिया साढे बिना 

अधूरी लगे /



रजनी छाबड़ा