बसंत
वक़्त ने
जिन घावों पर
थी मरहम लगाई
मौसम ने उन्ही को
हरा करने की
रस्म दोहराई
मेरी पीड़ा का
न आदि है
न अंत
मुरझाये हुए
जख्मों का
फिर से हरा होना
बस यही है
मेरा बसंत
वक़्त ने
जिन घावों पर
थी मरहम लगाई
मौसम ने उन्ही को
हरा करने की
रस्म दोहराई
मेरी पीड़ा का
न आदि है
न अंत
मुरझाये हुए
जख्मों का
फिर से हरा होना
बस यही है
मेरा बसंत