इन्द्रधनुष
मेरी
ज़िन्दगी के आकाश पे
इन्द्रधनुष सा
उभरे तुम
नील गगन सा विस्तृत
तुम्हारा प्रेम
तन मन को पुलकित
हरा भरा कर देता
खरे सोने सा सच्चा
तुम्हारा प्रेम
जीवन में
खुशियों के
रंग भर देता
तुम्हारे
स्नेह की
पीली ,सुनहली
धूप में
नारंगी सपनों का
ताना बाना बुनते
संग तुम्हारे पाया
जीवन में
प्रेम की लालिमा
सा विस्तार
सा विस्तार
इन्द्रधनुषी
सपनो से
सजा
संवरा
अपना संसार
बाद
तुम्हारे
इन्द्रधनुष के और
रंग खो गए
बस, बैंजनी विषाद
की छाया
दूनी है
बिन तेरे ,मेरी ज़िन्दगी
सूनी सूनी है
रजनी छाबड़ा