Monday, March 12, 2012

इन्द्रधनुष


इन्द्रधनुष

मेरी
ज़िन्दगी के आकाश पे
इन्द्रधनुष   सा
उभरे तुम


नील गगन सा विस्तृत
तुम्हारा प्रेम
तन मन को पुलकित
हरा भरा  कर देता
खरे सोने सा सच्चा
तुम्हारा प्रेम
जीवन में  
खुशियों के
रंग भर  देता
तुम्हारे
स्नेह की
पीली ,सुनहली
धूप में 
नारंगी सपनों का
ताना बाना बुनते
संग तुम्हारे पाया
जीवन में 
प्रेम की लालिमा
सा विस्तार
इन्द्रधनुषी 
सपनो से
सजा
संवरा
अपना संसार

बाद
तुम्हारे
इन्द्रधनुष  के और
रंग खो गए
बस, बैंजनी विषाद
की छाया
दूनी है
बिन तेरे ,मेरी ज़िन्दगी
सूनी सूनी है

रजनी छाबड़ा