Friday, January 24, 2025

संझिआ दे अँधेरे वेच


संझिआ  दे अँधेरे वेच 

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 संझिआ 

दे झुटपुट

 अँधेरे वेच 

दुआ वास्ते हथ जोड़ 

किया मंगणा 

टुट्दै होए तारे तुं 

जो अपणा ही वज़ूद 

नयि रख सकदा क़ायम 


मंगणा ही हे, तां मंगो 

डुबदे हुए सूरज तुं 

जो अस्त हो के वी 

नहीं थिंदा पस्त 

अस्त थिंदा हे ओ 

हक नवे सवेरे वास्ते 

अपणी सुनहरी किरणा नाल 

रोशन करण वास्ते 

सारी ख़ुदाई /


रजनी छाबड़ा 

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