Tuesday, February 25, 2025

महाकाव्य लस्टस का एक अंश, आप सभी सुधि पाठकों के अवलोकन हेतु

महाकाव्य लस्टस का एक अंश, आप सभी सुधि पाठकों के अवलोकन हेतु 

(मूल लेखन इंग्लिश में : डॉ. जे.एस.  आनंद 

हिंदी अनुवाद :  रजनी छाबड़ा 


लस्टस : 

 हमारे अस्तित्व को कोई ख़तरा नहीं है/

क्योंकि हम अदृश्य हैं/

हम अमूर्त हैं/

हम आभासी वास्तविकता हैं/

हम लोगों के दिलों में बसते हैं /

हम उनके विश्वास में जीते हैं/

हम अमर हैं/  

निडर /

और उतने ही शाश्वत 

और चिरस्थायी  जितना कि भगवान /


( लस्टस मंच से नीचे आ जाता है/)


दैवीय वाणी :

भगवान उनके गर्व के अभिकथन सुन रहे हैं/

और उनके स्वयं -निर्मित संसार में

इन्हे इस विश्वास की घुड़सवारी करने दे रहें है/


कौन जानता  है कि 

आज का सूर्य किस प्रतिशोध के साथ उदित होगा/

वही सूर्य जो कल कोमलता से अस्त हो गया था/