महाकाव्य लस्टस का एक अंश, आप सभी सुधि पाठकों के अवलोकन हेतु
(मूल लेखन इंग्लिश में : डॉ. जे.एस. आनंद
हिंदी अनुवाद : रजनी छाबड़ा
लस्टस :
हमारे अस्तित्व को कोई ख़तरा नहीं है/
क्योंकि हम अदृश्य हैं/
हम अमूर्त हैं/
हम आभासी वास्तविकता हैं/
हम लोगों के दिलों में बसते हैं /
हम उनके विश्वास में जीते हैं/
हम अमर हैं/
निडर /
और उतने ही शाश्वत
और चिरस्थायी जितना कि भगवान /
( लस्टस मंच से नीचे आ जाता है/)
दैवीय वाणी :
भगवान उनके गर्व के अभिकथन सुन रहे हैं/
और उनके स्वयं -निर्मित संसार में
इन्हे इस विश्वास की घुड़सवारी करने दे रहें है/
कौन जानता है कि
आज का सूर्य किस प्रतिशोध के साथ उदित होगा/
वही सूर्य जो कल कोमलता से अस्त हो गया था/