डॉ शिव कुमार प्रसाद द्वारा मेरी कविता 'तिनका तिनका नेह' का मैथिली में भावपूर्ण अनुवाद एवं
सिरायकी , हिंदी व् इंग्लिश में मेरी मूल रचना तिनका तिनका
तिनका तिनका नेह , Abode of Happiness
रजनी छाबड़ा रजनी छाबड़ाक एहि कविताक मैथिली भाषामे हम अनुवाद करबाक प्रयास केलहुँये।सभसँ निचामे अछि।
सिरायकी व् हिंदी में मेरी मूल रचना
तिनका तिनका
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हेक हेक तिनका
कठा कर
अपणे घौंसले कूँ
सोहणा सजांदी हे चिड़ी
कुज धागे
कुज रूई
कठे कर लैंदी हे चिड़ी
घौंसले कूं
निग़ा रखण वास्ते
अंडे सेवण तूं बाद
ज़िम्मेवारी
ख़तम नहीं थिंदी
चिड़ी दी
आपणे लाड़लिया वास्ते
चुग्गा कठा करदी
उंहा दी चुंज विच पानदी
माँ होवण दा सुख
हासल करेंदी चिड़ी
घौंसले तू बाहर दी दुनिया नाल
उंहा दी जाण पछाण करवांदी
निक्के पँखा नाल
खुले असमाँण वेच
उडारी भरना सिखांदी
ज़िंदगी दा चरखा
इवें ही चलदा राहंदा
बीते वक़्त दे नाल ही नाल
चिढ़ी दी ताकत
घटदी वैंदी
सवेर हुंदे ई
पंखी घेण लेंदे उडारी
कलली पई रेहँदी
उंहा दी माँ विचारी
शाम पवे पंखी
मुड़ आवनदे
अपणे ठिकाणे
घेण के अपणी चोंच विच
माँ वास्ते चुग्गा -दाणे
ईहो रिश्ता फलदा हे
आपनेपण दी दुनिया वेच
पियार नाल भरिया घोंसला
खुशियां दा ठिकाणा /
रजनी छाबड़ा
तिनका तिनका नेह
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नीड़ को
तिनका तिनका जुटा
सजाती है चिड़िया
कुछ कपास
कुछ धागे भी
बटोर लाती है चिड़िया
नीड़ में गरमाहट
लाने के लिए
अंडों को सेने के बाद
दायित्व मुक्त
नहीं हो जाती चिड़िया
अपने दुलारों के लिए
चुग्गा बटोरती
उनकी चोंच में डालती
मातृत्व का सुख
पाती है चिड़िया
नीड़ के बाहर की दुनिया से
उनका परिचय करवाती
नन्हे पंखों से
खुले आसमान में
उड़ान भरना सिखाती
जीवन चक्र
यूं ही चलता जाता
बीतते वक़्त के साथ ही साथ
चिड़िया का बल घटता जाता
भोर होते ही
पाखी भर लेते उड़ान
रुकी रहती सूने नीड़ में
उनकी माँ
सांझ ढले पाखी
लौट आते अपने नीड़ में
सहेजे अपनी चोंच में
माँ के लिए चुग्गा- दाना
यह रिश्ता हैं पनपता
सवेंदनाओं की दुनिया में
प्यार पगा नीड़
खुशियों का आशियाना /
रजनी छाबड़ा
Needh ko
Tinka tinka jutaa
Sajati hai chiddhia
Kuch kapas
Kuch dhage bhee
Bator lati hai chidhia
Needh mein
garmaht lane ke liye
Andon ko sene ke baad
Dayitv mukt
Nahin ho jatee chidhia
Apne dularon ke liye
Chugaa batortee
Unkee chonch mein daaltee
Matritv ka sukh
Patee hai chidhia
Needh ke bahar kee duniya se
Unka paricay krwatee
Nanhe pankhon se
khule asmaan mein
Udhaan lena sikhatee
Jeevan chakar yoon hee
Chalta jata
Bitate waqt ke saath saath
Chidhiyaa ka bl ghatata jata
Bhor ugate hee
Pakhee bhar lete udhaan
Pankh samate ab
Rukee rahtee hai
Soone needh mein unkee Maa
Sanjh dhale, pakhee
Lout aate apne needh mein
Samate apnee nanhee chonch mein
Maa ke liye chugaa - dana .
Yeh rishta hai panpata
Sawendnaon kee duniya mein.
Pyar paga needh
Khushiyon ka aashiyana.
Rajni chhabr
तिनका तिनका सिनेह
चोंचाकें
तिनका तिनका बीछकें
बुनय छै चिड़ै
किछु रुइया
किछु डोरा सेहो
बीछि अनैत छै चिड़ै
चोंचाकें गरम राखऽ लेल
अंडाकें सेवलाक पछैतो
अपन काजसँ निचेन
नहि भऽ जाएत छै चिड़य
अपन नेनासभक लेल
चुग्गा बीछि
ओकरा सभक लोलमे दैत
मायक सुख
पबैत अछि चिड़ै
चोंचासँ बाहरी दुनियाँसँ
ओकर परिचय करबैत
नान्हि पांखिसँ
खुलल अकासमे
सिखबैत
जिनगीक पहिया
अहिना चलैत जाएत छै
बितैत कालक संगे -संगे
चिड़ैकेर ताकैत घटैत जाएत छै
भिनसर होएते
चिड़ै उड़ि जाएत छै
बैसल रहैत छै सुन्न चोंचामे
ओकर माय
सांझ होएत -होएत
घुमि अबैत अछि अपन चोंचामे
रखने अपन लोलमे
माए लेल चुग्गा दाना
इयेह सिनेह पोनघबैत छै
संवेदनाक संसारमे
सिनेह भरल नीड़
आनन्दक महल।
अनुवाद
शिव कुमार प्रसाद, सिमरा, झंझारपुर, मधुबनी, बिहार।
Heartiest thanks, Dr. Sheo Kumar Prasad for this soulful translation of my poem into Maithili
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