Wednesday, February 26, 2025

 वह अपने ज्ञान की जादुई छड़ी हिलाता है 

और  सारा संसार झुक जाता है 
उसके उपहास पर/
जबकि आप तीखी नज़रों से देख रहे होते हैं 
अपने पवित्र सिंहासन पर बैठे 
आपका क़बीला  जो सीमित होता जा रहा है, उस से बेखबर।



(देवदूतों और महादूतों , देवता और देवियों में बहुत हलचल मची है/) 

ब्रह्मा 

इस रहस्य्मयी आवाज़ ने जो कहा 
स्पष्ट करती हैं व्यापक उलट-फेर को 

 दानवों से  निपटने में हमें बहुत परेशानी हुए है/

हमें तो अज्ञानता के आनंद में यकीन है 
जो जनमानस को आंदोलित करने में असफल रहा/

अत्याधिक् संख्या में लोग जब देवालयों में जाते है 
उन्हें देख कर एक राहत भरी भ्रान्ति होती है /
परन्तु वास्तिविक तथ्य तो चौंकाने वाले हैं/

क्या यह वास्तविकता है या मात्र विस्मरण ?



क्योंकि हमने अपनी  रण नीतियों की समीक्षा ऐसे नहीं की 
जैसे कि दानवों ने की 
सेटन के बाद की अवधि प्रबोधन की अवधि है/
ज्ञान ने सब मकड़ी के जाले हटा दिए हैं 
आध्यतमिकता की ओर झुके हुए लोगों 
के दिमाग  से 
और प्राचीन अतीत की मृत शाखाओं को फ़ेंक दिया है 
हमअपनी शक्तियों का राग अलापते रहते हैं 
जिनका प्रयोग हमने उस समय किया था 
जब सेटन ने विद्रोह किया था /
हमारी सफलता के बाद 
हम केवल आराम फरमाते रहे है/
हम बहुत लापरवाही से उनके विश्वास के साथ खेलते रहें है/
और अब परिणाम सामने हैं 
पृष्ठ ९९ 

दुश्मन ने तो अपनी शक्ति समेकित कर ली है 
और हमारे सैनिकों को अपनी ओर परिवर्तित कर लिया है/
हमें भौचंक्का करते हुए 
जिस समय हम अतीत की अपनी जीतों का 
जश्न मनाने में व्यस्त थे 
जिनकी आज के युग में प्रांसगिकता पर सवाल उठाये जा रहें हैं /
पुराना संसार हमारा था 
पर इस संसार ने एक निर्णयात्मक मोड़ लिया है 
परम्परा से हट के 
पुराने फ्रेम से यह एक बहुत बड़ा बदलाव था 
जब नियंत्रण हमारे हाथों से फिसल गया 
और दानवों ने लगाम अपने हाथों में ले ली/


विष्णु 

1990 में संसार बदल गया 
जब कम्प्यूटर्स का प्रयोग किया जाने लगा 
ज्ञान को संसाधित करने के लिए/
और ज्ञान का  कृत्रिम प्रकाश इतनी तीव्र गति से फैला कि 
इसने प्रकाश के प्राकृतिक स्त्रोतों को सुखा दिया/
संसार ने अलविदा कह दी, बुद्विमता को 
धार्मिक ग्रंथों को और यहाँ तक की देवताओं को भी 
और दैवीय सजा के भय  से भी मुक्त हो गए /


अब कोई पाप के बारे में परेशान नहीं होता 
किसी को भी स्वीकारोक्ति की परवाह नहीं/
किसी को भी क्षमादान में यकीन नहीं/
दान अभी भी दिए जाता है, पर राजनेताओं  द्वारा 
ऐयाशी में इस्तेमाल हो जाते हैं/

( explanation needed)

हमारे मंदिरों को क्या हुआ है 
हमारे धर्मात्माओं को क्या हुआ है?
क्या हमने कभी चाहा था कि 
सब जगह संगमरमर लगा दें 
और प्रधान ही वास्तविक राजनीति करें?
ईसा के सुविचारों की किसने गलत व्याख्या की ?
ज़रा, गौर फरमाईये, आज कल किस तरह के लोग 
हमारे मंदिरों में जाते हैं 

पृष्ठ 100 


क्या  उनमें से कोई एक भी वहाँ 
शांति और मोक्ष की तलाश में आया है?
क्या कितनी अप्रीतिकर स्थिति है !
हमे परस्पर चिंताएं और उम्मीदें 
सभी  गायब हो चुके हैं/


दानव जोश के गहरे नशे में धुत हैं,
इस कारण वे पूरी तरह से होश ,
सारे अनुपात, सारे संतुलन खो चुके हैं/
उनके आचरण में कोई शालीनता नहीं रही/
उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की है /
उच्च डिग्रियां धारक हैं /
फिर भी उनका आचरण तो देखो!
क्या वे केवल मुँह हैं? केवल पेट हैं/
केवल बाँहें है? केवल सिर है?
 पूर्ण मनुष्य नहीं?



इंद्र:
हम वंश-वृद्धि में  यकीन रखते हैं/
और हमने मनुष्यों को प्रजनन अंग प्रदान किये/
फिर भी, यह सब मानवता के बारे में नहीं था/
सेक्स जीवन का मात्र एक हिस्सा है/
फिर भी बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा/ 
और इन लोगों ने, आह!
इस आवेग को वर्जित किया/
और दानवों ने इस तंत्र का उपयोग किया/
अपनी अशिष्ट अभियांत्रिकी के लिए/
अब हर कोई काम-लोलुप है/
आदमी और औरत एक दोदरे को यूं निहारते हैं 
जैसे कि वे यौन संतुष्टि की वस्तु हों/
और क्योंकि यह वर्जित है 
एक गंभीर क्षति पहुंचाता है
मानवता के भावनात्मक और हार्मोनल संतुलन को /

पृष्ट 101 

और यह रहा परिणाम 
वे मनुष्य, जिनका संतुलन बिगड़ गया है/
वे सेक्स के लिए जुनूनी हो गए हैं, मनोरोगी ,
असामाजिक प्रवृति वाले व् बलात्कारी बन गए हैं/
हमारे छद्म संतों के बावजूद 
जो  दिखावटी नैतिकता का उपदेश देते हैं/



दानवों ने यह सुनिश्चित कर लिया है कि 
युवक व्यस्त रहें, अपने लिए अनुकूल दुल्हन ढूंढ़ने के लिए 
और लड़कियां सुयोग्य वर तलाशने में व्यस्त है,
और यह  मोहक और उत्तेजक नृत्य  जारी है/ 
 यदि कोई पति या पत्नी का गलत चुनाव कर लेता है 
 वह जीवन की सारी खुशियों से वंचित हो जाता है/



ऐसे लोगों से हम क्या उम्मीद रख सकते हैं?
भले आप उन्हें एक  ही सांस में सारे धार्मिक ग्रन्थ सुना दें,
चाहे कितनी ही बार गीता सुना दें ,
अगर उनमें शरीर की भूख बाकी  है, 
वे आत्माहीन हैं/



और इसी बिंदु पर दानवों ने हम पर प्रहार किया है/
पूरी जनसंख्या विक्षप्त हो गयी है/

रसोई से मुक्ति,
घर के बंधन से मुक्ति ,
बच्चे पैदा करने और उनको पालने से मुक्ति,
मुक्ति तो एक महान नाम है,
जिसे कि दानवों ने शर्मसारकर दिया है /



लस्टस ; (ईश्वर से)
 
महान रचेयता,
आपने एक बड़ी भूल कर दी 
आदम को वर्जित फ़ल खाने की छूट दे कर  
यही तो वह ज्ञान है 


पृष्ठ 102 

जिसे हमने अपने लाभ के लिए प्रयोग में लिया है/

क्या आप नहीं जानते थे 

आज्ञाकारिता और अवहेलना 
हाथों में हाथ मिला कर चलते हैं ?
अब, देखिये, वे सब लोग जिनका टीकाकरण किया गया था 

थोड़ी सी, बिल्कुल  थोड़ी सी या नाम मात्र की जानकारी के साथ 
आपके विरोध में सिर उठाये खड़े हैं/


हमारी सेनाओं की यह लम्बी कतारें देखिये/

हमारे दानव उनके पीछे खड़े हैं ,
परन्तु यहाँ पर लम्बी पंक्तियाँ हैं, अधिकारियों।
उद्योगपतियों, बेंकर्स, विक्रेता, 
सरकारी अफ़सर , कचहरी में काम करने वालों ,
भविष्यवाणी करने वालों, पैग़मबर , गुरु औए संतो की/


इन्हे पूछिए की वे हमारी तरफ क्यों हो गए हैं?
हमने उब्जे केवल आज़ादी की पेशकश की 
और उन्होंने आपका साथ छोड़ा , आपके आदर्शों को , आपकी नेकी 
और आपकी भव्यता को मँझदार में छोड़ दिया/


इन ग़रीब  औरतों से पूछो,

जिन्हे भरपेट भोजन नसीब नहीं होता,
कि उन्हें क्या चाहिए?
क्या  उनमें से कोई भी मोक्ष चाहता है/ याकि, यहाँ तक कि भगवान ?


आवाज़ें :

नहीं, नहीं, नहीं 
हमें भोजन चाहिए/ हमें फ़्रिज चाहिए/ हमें कारें चाहिए/
हम विदेश देखना चाहते हैं/ 

युवकों से पूछिए/ वे क्या चाहते है?

पृष्ठ 103 

आवाज़ें 
आज़ादी, प्यार, सैक्स , मौज-मस्ती, मदिरा, नशीली औषधियाँ 

लस्ट्स :

क्या तुम्हे भगवान् नहीं चाहिए ? क्या तुम्हे स्वर्ग चाहिए?


आवाज़ें :
हम जीना चाहते हैं, हम मरना नहीं चाहते/
भूख़ और ज़रूरत यही सच्चाई हैं /
भगवान तो मात्र कपोल कल्पना है /
ज़िंदगी अमूर्त नहीं/


हे, साधुओ ! यहाँ आओ और बताओ 
आपकी समस्या क्या है/
आपने भगवान से मुँह क्यों मोड़ लिया/


आवाज़ें :

हमें शक्ति चाहिए और शक्ति आती है
बंदूक की दुनाली से 
और केवल राजनेता के पास ही बंदूक होती है/


लस्टस :

भगवान, अब मुझे दिखाईये , कितने लोग 
आपकी ओर से लड़ने वाले हैं?



भगवान :
लस्टस , यह कौरवों की सेना है 
लाखों की तादाद में, जो भूसे में यकीन रखते थे,
ख़ुद भूसा  बन गए/
और राख़ का ढेर हो गए/
वे हमें हमारी नेकी के रास्ते से 
पथभृष्ट नहीं कर सकते/
हमने केवल जानकारी नहीं दी, 
परन्तु बुद्धिमता भी दी 
जिसे इस लोगों ने नहीं खरीदा/

पृष्ठ १०४ 





 


 


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