कहाँ गए वो दिन
जब नदियाँ
शुद्ध जल दायिनी थी
सुवासित बयार
मन भावनी थी
कहाँ गए वो दिन जब
कोयल कूकती थी अमराइयों में
बटोही सुस्ताया करते थे
पेड़ों की शीतल छाया में
जब नदियाँ
शुद्ध जल दायिनी थी
सुवासित बयार
मन भावनी थी
कहाँ गए वो दिन जब
कोयल कूकती थी अमराइयों में
बटोही सुस्ताया करते थे
पेड़ों की शीतल छाया में
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