Sunday, November 3, 2024

अपना अपना अंदाज़

 




अपना अपना अंदाज़ 


कोई अश्क़ समेटे रखता है आँखों में 

कोई दरिया बहा देता है अश्क़ों का 


कोई साँस लेने को ही ज़िन्दगी समझता है 

कोई ज़िंदादिली से जीने को ज़िन्दगी मानता है 


तितलियों की शोख अठखेलियां लुभाती किसी को 

और सहेज लेता उनकी यादें मन में 

कोई तितलियों के शोख रंग सहेजता कैनवास पर 

और सांझा करता इन खुशियों को जग-ज़ाहिर कर 


अपना अपना अंदाज़ हैं जीने का 

किसी को प्रिय है केवल निजता 

किसी को भाती सार्वजनिकता /


रजनी छाबड़ा 

4 /11/2024 

12. 15  p .m