अपना अपना अंदाज़
कोई अश्क़ समेटे रखता है आँखों में
कोई दरिया बहा देता है अश्क़ों का
कोई साँस लेने को ही ज़िन्दगी समझता है
कोई ज़िंदादिली से जीने को ज़िन्दगी मानता है
तितलियों की शोख अठखेलियां लुभाती किसी को
और सहेज लेता उनकी यादें मन में
कोई तितलियों के शोख रंग सहेजता कैनवास पर
और सांझा करता इन खुशियों को जग-ज़ाहिर कर
अपना अपना अंदाज़ हैं जीने का
किसी को प्रिय है केवल निजता
किसी को भाती सार्वजनिकता /
रजनी छाबड़ा
4 /11/2024
12. 15 p .m
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