शब्दों के फेर मैं
मत उलझाओ गति को
फलसफे के फेर मैं
मत उलझाओ मति को
बहने दो जीवन को
निर्मल निर्बाध सरिता सा
कह दो मन के भावों को
सीधी सरल कविता सा
रजनी छाबड़ा
मत उलझाओ गति को
फलसफे के फेर मैं
मत उलझाओ मति को
बहने दो जीवन को
निर्मल निर्बाध सरिता सा
कह दो मन के भावों को
सीधी सरल कविता सा
रजनी छाबड़ा
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