Friday, June 21, 2013

आकाश दीप

आकाश दीप
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ज़िंदगी के लम्बे
अनजान सफ़र मैं
जब जब मन लगे भटकने
अंधियारी डगर मैं
कितना भी हो
यह मन भ्रमित
आयें ज़िन्दगी मैं
कितने भी तूफ़ान
कितने भी झंझावत
हो मन
कितना भी बदगुमाँ


सागर के बीचों बीच स्थिर
आकाशदीप से तुम
तुम हमेशा रहोगे
मेरे रहनुमा


रजनी छाबड़ा

In the long,
Unfamiliar
Journey of life

Whenever mind
Starts wandering
In dark alleys

howsoever,mind
Might be misguided

So many storms
So many thunders
Making mind so restless

Like a lighthouse
Amidst sea
You will always be
My guiding star.

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