Expression
Thursday, December 11, 2014
नासूर
नासूर
मन और् आँखों
के बीच
गहरा रिश्ता है
मन का नासूर
आँखों से
अश्क बन
रिसता है/
रजनी छाबड़ा
कस्तूरी मृग
========
कस्तूरी की गंध
खुद मैं समेटे
भ्रमित भटक रहा था
कस्तूरी मृग
आनंद का सागर
खुद में सहेजे
कदम बहक रहे थे
दसों दिग़
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