Sunday, May 19, 2013

उन्मुक्त हंसी का जो झरना 
भेजा तुमने मेरे आँगन मैं 

किलकारियों की गूंज से 
खुशहांल किया घर आँगन 

शुक्र गुजार हूँ तुम्हारी ,
ए खुदा ,इस नन्हे फ़रिश्ते के लिए 

घर आँगन मैं 
यह जो नन्ही पौध 
लहराने लगी है, 
मेरे बेटे का बचपन भी 
दोहराने लगी है/


प्रिय प्रत्युष को पहले जन्मदिन की बहुत बहुत मुबारक 

रजनी छाबड़ा (  दादी माँ )

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