उन्मुक्त हंसी का जो झरना
भेजा तुमने मेरे आँगन मैं
किलकारियों की गूंज से
खुशहांल किया घर आँगन
शुक्र गुजार हूँ तुम्हारी ,
ए खुदा ,इस नन्हे फ़रिश्ते के लिए
घर आँगन मैं
यह जो नन्ही पौध
लहराने लगी है,
मेरे बेटे का बचपन भी
दोहराने लगी है/
प्रिय प्रत्युष को पहले जन्मदिन की बहुत बहुत मुबारक
रजनी छाबड़ा ( दादी माँ )
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