सपने हसीन क्यों होते हैं
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स्नेह,दुलार,प्रीत
मिलन,समर्पण
आस, विश्वास के
सतरंगी
ताने बाने से बुने
सपने इस कदर
हसीन क्यों होते हैं
कभी मिल जाते हैं
नींद को पंख
कभी आ जाती है
पंखों को नींद
हम सोते में जागते
और जागते में सोते हैं
सपने इस कदर
हसीन क्यों होते हैं
बे नूर आँखों में
नूर जगाते
उदास लबों पर
मुस्कान खिलाते
मायूस सी ज़िंदगी को
ज़िंदगी का साज सुनाते
सपने इस कदर
हसीन क्यों होते है
कल्पना के पंख पसारे
जी लेते हैं कुछ पल
इनके सहारे
अँधेरे के आखिरी छोर पर
कौंधती बिजली से यह सपने
इस कदर हसीन
क्यों होते हैं
जिस पल मेरे सपनों पर
लग जायेगा पूर्ण विराम
मेरी ज़िंदगी के चरखे को भी
मिल जायेगा अनंत विश्राम
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