Tuesday, December 3, 2024

ओ ही हे सूरज




ओ  ही हे सूरज 

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सूरज तां ओ ही हे  

पर रोशनी बदलदा रैहन्दा रोज़ 


ओ ही हे  दरिया, ओ ही झरने 

पर पाणी दे वगण दा वल 

बदलदा रैहन्दा रोज़ 


ओ ही हे असां दी ज़िन्दगी 

रोज़ ब रोज़ 

पर रोको ना आपणी चाल 


कोशिश ज़ारी रखो

 रोज़ नवा रस्ता लभण दी 

नवियां मंज़िला 

तलाशण  दी/


रजनी छाबड़ा 



रजनी छाबड़ा 


निभावणा: सिरायक़ी और हिंदी में मेरी कविता

 निभावणा

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कुझ बन्देयाँ नु 

प्यार जतावणा  ही नहीं 

प्यार निभावणा वी आंदा ए 


कंडे लखान वारी 

छलनी कर देवण 

गुलाब दी झोली  

गुलाब अणवेखियाँ कर 

बस मुलकदा रेहँदा ए 

उंहा दे नाल/



 


दामन गुलाब का
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कुछ लोग 

प्यार जताना ही नहीं

प्यार निभाना भी जानते हैं/


कांटे लाख छलनी कर ले

दामन गुलाब का

गुलाब अनदेखा कर सब

बस मुस्कुराता है

उनके संग/


रजनी छाबड़ा



रजनी छाबड़ा

तिनका तिनका : सिरायक़ी कविता

 तिनका तिनका 

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हेक  हेक तिनका 

कठा कर 

अपणे घौंसले कूँ 

सोहणा सजांदी हे चिड़ी 

कुज धागे 

कुज रूई 

कठे कर लैंदी हे चिड़ी 

घौंसले कूं 

निग़ा रखण वास्ते 

अंडे सेवण तूं बाद 

ज़िम्मेवारी 

ख़तम नहीं थिंदी 

चिड़ी दी 

आपणे लाड़लिया वास्ते 

चुग्गा कठा करदी 

उंहा दी चुंज विच पानदी  

माँ होवण दा सुख 

हासल करेंदी चिड़ी 

घौंसले तू बाहर दी दुनिया नाल 

उंहा दी जाण  पछाण करवांदी 

निक्के पँखा नाल 

खुले असमाँण वेच 

उडारी भरना सिखांदी 

ज़िंदगी दा चरखा 

इवें ही चलदा राहंदा 

बीते वक़्त दे नाल ही नाल 

चिढ़ी दी ताकत 

घटदी वैंदी 

सवेर हुंदे ई 

पंखी घेण लेंदे उडारी 

कलली पई रेहँदी 

उंहा दी माँ विचारी 

शाम पवे पंखी 

मुड़ आवनदे   

अपणे ठिकाणे 

घेण के अपणी चोंच विच 

माँ वास्ते चुग्गा -दाणे 

ईहो रिश्ता फलदा हे 

आपनेपण दी दुनिया वेच 

पियार नाल भरिया घोंसला 

खुशियां दा ठिकाणा /

रजनी छाबड़ा 


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हेक  हेक तिनका 

कठा कर 

अपणे घौंसले कूँ 

सोहणा सजांदी हे चिड़ी 

कुज धागे 

कुज रूई 

कठे कर लैंदी हे चिड़ी 

घौंसले कूं 

निग़ा रखण वास्ते 

अंडे सेवण तूं बाद 

ज़िम्मेवारी 

ख़तम नहीं थिंदी 

चिड़ी दी 

आपणे लाड़लिया वास्ते 

चुग्गा कठा करदी 

उंहा दी चुंज विच पानदी  

माँ होवण दा सुख 

हासल करेंदी चिड़ी 

घौंसले तू बाहर दी दुनिया नाल 

उंहा दी जाण  पछाण करवांदी 

निक्के पँखा नाल 

खुले असमाँण वेच 

उडारी भरना सिखांदी 

ज़िंदगी दा चरखा 

इवें ही चलदा राहंदा 

बीते वक़्त दे नाल ही नाल 

चिढ़ी दी ताकत 

घटदी वैंदी 

सवेर हुंदे ई 

पंखी घेण लेंदे उडारी 

कलली पई रेहँदी 

उंहा दी माँ विचारी 

शाम पवे पंखी 

मुड़ आवनदे   

अपणे ठिकाणे 

घेण के अपणी चोंच विच 

माँ वास्ते चुग्गा -दाणे 

ईहो रिश्ता फलदा हे 

आपनेपण दी दुनिया वेच 

पियार नाल भरिया घोंसला 

खुशियां दा ठिकाणा /

रजनी छाबड़ा 

Monday, December 2, 2024

Rajni Chhabra's Poetry

 Rajni Chhabra's translated poetry!


Rajni Chhabra's poetry has been translated into various languages, including English, Hindi, and other regional languages. Her translated poetry has helped to share her thoughts, emotions, and spiritual insights with a wider audience.

Rajni Chhabra's poetry is a reflection of her spiritual and philosophical outlook. Her poems often explore themes of:


1. Spirituality and self-discovery

2. Love and relationships

3. Nature and the universe

4. Personal growth and empowerment


Some of her poetry is also inspired by her work as a nameologist, exploring the connections between names, identity, and destiny.


Some of her translated poetry collections include:


1. *"Whispers of the Soul"*: A collection of poems exploring themes of spirituality, love, and self-discovery.

2. *"Echoes of the Heart"*: A selection of poems that delve into the human experience, emotions, and relationships.

3. *"Rhythms of Life"*: A collection of poems that celebrate the beauty of life, nature, and the universe.


These translated collections offer a glimpse into Rajni Chhabra's poetic world, where she weaves together themes of spirituality, love, and personal growth.