निभावणा
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कुझ बन्देयाँ नु
प्यार जतावणा ही नहीं
प्यार निभावणा वी आंदा ए
कंडे लखान वारी
छलनी कर देवण
गुलाब दी झोली
गुलाब अणवेखियाँ कर
बस मुलकदा रेहँदा ए
उंहा दे नाल/
दामन गुलाब का
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कुछ लोग
प्यार जताना ही नहीं
प्यार निभाना भी जानते हैं/
कांटे लाख छलनी कर ले
दामन गुलाब का
गुलाब अनदेखा कर सब
बस मुस्कुराता है
उनके संग/
रजनी छाबड़ा
रजनी छाबड़ा
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