Tuesday, December 3, 2024

तिनका तिनका : सिरायक़ी कविता

 तिनका तिनका 

************

हेक  हेक तिनका 

कठा कर 

अपणे घौंसले कूँ 

सोहणा सजांदी हे चिड़ी 

कुज धागे 

कुज रूई 

कठे कर लैंदी हे चिड़ी 

घौंसले कूं 

निग़ा रखण वास्ते 

अंडे सेवण तूं बाद 

ज़िम्मेवारी 

ख़तम नहीं थिंदी 

चिड़ी दी 

आपणे लाड़लिया वास्ते 

चुग्गा कठा करदी 

उंहा दी चुंज विच पानदी  

माँ होवण दा सुख 

हासल करेंदी चिड़ी 

घौंसले तू बाहर दी दुनिया नाल 

उंहा दी जाण  पछाण करवांदी 

निक्के पँखा नाल 

खुले असमाँण वेच 

उडारी भरना सिखांदी 

ज़िंदगी दा चरखा 

इवें ही चलदा राहंदा 

बीते वक़्त दे नाल ही नाल 

चिढ़ी दी ताकत 

घटदी वैंदी 

सवेर हुंदे ई 

पंखी घेण लेंदे उडारी 

कलली पई रेहँदी 

उंहा दी माँ विचारी 

शाम पवे पंखी 

मुड़ आवनदे   

अपणे ठिकाणे 

घेण के अपणी चोंच विच 

माँ वास्ते चुग्गा -दाणे 

ईहो रिश्ता फलदा हे 

आपनेपण दी दुनिया वेच 

पियार नाल भरिया घोंसला 

खुशियां दा ठिकाणा /

रजनी छाबड़ा 


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हेक  हेक तिनका 

कठा कर 

अपणे घौंसले कूँ 

सोहणा सजांदी हे चिड़ी 

कुज धागे 

कुज रूई 

कठे कर लैंदी हे चिड़ी 

घौंसले कूं 

निग़ा रखण वास्ते 

अंडे सेवण तूं बाद 

ज़िम्मेवारी 

ख़तम नहीं थिंदी 

चिड़ी दी 

आपणे लाड़लिया वास्ते 

चुग्गा कठा करदी 

उंहा दी चुंज विच पानदी  

माँ होवण दा सुख 

हासल करेंदी चिड़ी 

घौंसले तू बाहर दी दुनिया नाल 

उंहा दी जाण  पछाण करवांदी 

निक्के पँखा नाल 

खुले असमाँण वेच 

उडारी भरना सिखांदी 

ज़िंदगी दा चरखा 

इवें ही चलदा राहंदा 

बीते वक़्त दे नाल ही नाल 

चिढ़ी दी ताकत 

घटदी वैंदी 

सवेर हुंदे ई 

पंखी घेण लेंदे उडारी 

कलली पई रेहँदी 

उंहा दी माँ विचारी 

शाम पवे पंखी 

मुड़ आवनदे   

अपणे ठिकाणे 

घेण के अपणी चोंच विच 

माँ वास्ते चुग्गा -दाणे 

ईहो रिश्ता फलदा हे 

आपनेपण दी दुनिया वेच 

पियार नाल भरिया घोंसला 

खुशियां दा ठिकाणा /

रजनी छाबड़ा 

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