तुम इतना इतराया मत करो
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तितली
तुम इतना इतराया मत करो
बेख़ौफ़ बगिया में
आया जाया न करो
न जाने कब
कोई रीझ जाये
तुम पर और
तुम्हारी मासूम अदाओं पर
और तुम बेक़सूर
सिमट कर रह जाओ
शोख रंगों के साथ
किताबों के पन्नों में
किसी का मन बहलाने को/
रजनी छाबड़ा
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