जीवण दा वल
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जिथै मर्ज़ी
किसे वी वेले
जड़ तुं उखाड़ के
नवे सिरे तुं
ज़मीन वेच उगा घिनो
दुबारा नवी ज़मीन वेच
खिड़ वेंदी हे बिच्छु बूटी
आपणी रंग बिरंगी
शान दे नाल
काश! जीवन दा एह वल
सांकु वी आ वंजे /
रजनी छाबड़ा
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