Sunday, March 31, 2013

आसमान आबी है

आसमान आबी है


आसमान आबी है
फिजाओं में बेताबी  है
जाने आज कुदरत
क्या नया गुल खिलायेगी






रजनी छाबड़ा


Sky is Neptunian
Ambience is  restless
God know,
What new mischief
Is cooking
In  mind of nature.

RAJNI छाबड़ा 

Tuesday, March 19, 2013

 पहला क़दम 
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फूलों से नाज़ुक पाँव से
ठिठक ठिठक कर
डगमगाते क़दमों से
चलने का प्रयास
पाँव ने अभी अभी तो
धरती पर टिकना सीखा है
गिरते,उठते 
लचकते संभलते
फिर चलते
ममत्व का हाथ थामे
आंखों मैं मूक अनुमोदन
 की आस
ममत्व और स्नेह से
संबल लेता
प्रयास
सफलता
 की किलकारी
पायल की रुनझुन से
गूंज उठती
घर  फुलवारी




Saturday, March 16, 2013

यादों की राख से

यादों की राख से
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दफ़न हुई यादों की राख से

क्यों सुलग  जाती है

चिंगारी सी 

ज़िक्र होता है जब भी तेरा 

जाने अनजाने 

नहीं थमते आसूं फिर 

किसी बहाने