Thursday, October 8, 2009

कल,आज और कल

आने वाला कल
कभी नहीं आता
क्योंकि कल
आते ही ,है
आज बन जता
फिर क्यों न हम
आज के पल पल को
सहेजे,समेटे और
संवारे जाएँ
ताकि
आज के साथ साथ
बिता हुआ कल भी
हमें पूर्णता का
एहसास दिला जाए