Expression
Saturday, November 2, 2013
पहचान
अंधकार को अपने दामन में समेटे
ज्यों दीप बनाता है
अपनी रोशन पहचान
यूं ही तुम
अश्क़ समेटे रहो खुद में
दुनिया को दो सिर्फ मुस्कान
अपनी अनाम ज़िंदगी को
यूं दो एक नयी पहचान
रजनी छाबड़ा
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