Wednesday, February 22, 2017

हमारे बीकानेर से , राजस्थानी और हिंदी के प्रख्यात कहानीकार - व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा को उनके राजस्थानी कहानी संग्रह 'मर्दजात अर दूजी कहाणियां ' ले लिए आज साहित्य अकादमी द्वारा भव्य समारोह में सम्मानित किया गया/

पुरस्कार ग्रहण करते हुए बुलाकी जी /


हमारे बीकानेर से , राजस्थानी और हिंदी के प्रख्यात कहानीकार - व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा को उनके राजस्थानी कहानी संग्रह 'मर्दजात अर दूजी कहाणियां ' के लिए आज साहित्य अकादमी द्वारा भव्य समारोह में सम्मानित किया गया/

पुरस्कार ग्रहण करते हुए बुलाकी जी /




It is a matter of great pride and joy that famous story writer and satirist Bulaki Sharma ji , from our Bikaner has been awarded in a grand function by Sahitya Akademi ,for his collection of Rajasthani stories MARDJAAT AR DOOJEE KAHANIYAAN

Heartiest Congrats to Bulaki Sharma ji

Monday, February 13, 2017

हम कहाँ थे,हम कहाँ जा रहे हैं

हम कहाँ थे,हम कहाँ जा रहे हैं – रजनी छाबड़ा


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हम कहाँ थे,हम कहाँ जा रहे हैं
रजनी छाबड़ा 
सुहाग के जोड़े,कुमकुम सने पग और
मेहँदी रचे हाथों से सजी संवरी दुल्हनिया
घोड़े पर सवार,सेहरे से सजे,
शाही शान से आते दुल्हे राजा
क्या ख्वाबों की बात हो जायेंगे
और चटक,जनक जननी के जज़्बात जायेंगे
अपने जिगर के टुकड़े को
निगाहों से दूर बसने देना
क्या उन्हें मनमानी का परमिट दे गया
और अभिभावक क्या
उनका जीवन साथी सुझाने में
इतने अक्षम हो गए कि
नयी पौध द्वारा,वैवाहिक जीवन से पहले ही
खुद को आजमाना ज़रूरी हो गया
रिश्ते न हुए,
हो गयी मिठाई
चख लो, भायी तो भायी
वरना ठुकराई
आदम और हव्वा की
वर्जित फल खाने की
कहानी का दोहरान
आधुनिक पीड़ी चढ़ती जायेगी
दिशाहीनता की एक और सोपान
मृगतृष्णा सी तलाश
भटकन की राह दिखती है
तन मन की बेताबी बढाती है
जीवंत विश्वास,संस्कार और परम्पराएँ
क्यों न हम यही आजमाई राह अपनाये
कानून की कलम से लिखा
लिव इन का फैसला
सर पर सवार होने न पाए
भारतीयता का परिवेश बदलने न पाए
हम भारतीय हैं, भारतीय रहेंगे
तपस्वनी धरा का यही औचित्य
सारी दुनिया को दिखलायें

ग्वालियर टाइम्स में २०१२ में प्रकाशित 
https://gwaliortimes.wordpress.com/2012/02/14/%E0%A4%B9%E0%A4%AE-%E0%A4%95%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%81-%E0%A4%A5%E0%A5%87%E0%A4%B9%E0%A4%AE-%E0%A4%95%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%81-%E0%A4%9C%E0%A4%BE-%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A5%87-%E0%A4%B9%E0%A5%88/
रजनी छाबड़ा 

Sunday, February 12, 2017

दिल के मौसम



दिल के मौसम



होती है कभी
फूलों मे
काँटों सी  चुभन
कभी काँटों मैं
फूल खिला करते हैं
बहार मैं वीराना
कभी वीराने मैं
बहार सा एहसास
यह दिल के मौसम
यूं,बेमौसम
बदला करते हैं

Saturday, February 11, 2017

मेरी हिंदी कविता 'इन्द्रधनुष ' का डॉ अमरजीत कौंके द्वारा किया गया पंजाबी अनुवाद " पंजाब टुडे " में प्रकाशित....


कैनेडा से निकलने वाली पंजाबी पत्रिका 
" पंजाब टुडे " में हिंदी के चुनिंदा कवियों 
मोहन सपरा, सुशांत सुप्रिय, अलका सिन्हा, राजेन्द्र परदेसी, नीलिमा शर्मा, आरती तिवाड़ी व् राजवंत राज की कविताओं के साथ ही साथ मेरी हिंदी कविता 'इन्द्रधनुष ' का डॉ अमरजीत कौंके  द्वारा किया गया 
पंजाबीअनुवाद प्रकाशित....
शुक्रिया डॉ अमरजीत कौंके और पंजाब टुडे टीम...


 Heartiest thanx Dr Amarjeet Kaunke for this commendable effort and congrats to Panjab Today team. Congrats to all the poets who had the honour of getting their poems translated by your mighty pen



इन्द्रधनुष

मेरी
ज़िन्दगी के आकाश पे
इन्द्रधनुष   सा
उभरे तुम


नील गगन सा विस्तृत
तुम्हारा प्रेम
तन मन को पुलकित
हरा भरा  कर देता
खरे सोने सा सच्चा
तुम्हारा प्रेम
जीवन में  
खुशियों के
रंग भर  देता
तुम्हारे
स्नेह की
पीली ,सुनहली
धूप में 
नारंगी सपनों का
ताना बाना बुनते
संग तुम्हारे पाया
जीवन में 
प्रेम की लालिमा
सा विस्तार
इन्द्रधनुषी 
सपनो से
सजा
संवरा
अपना संसार

बाद
तुम्हारे
इन्द्रधनुष  के और
रंग खो गए
बस, बैंजनी विषाद
की छाया
दूनी है
बिन तेरे ,मेरी ज़िन्दगी
सूनी सूनी है


रजनी छाबड़ा