ज़िन्दगी ने तो मुझे कभी फुर्सत न दी
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ज़िन्दगी ने तो मुझे कभी फुर्सत न दी
ऐ,मौत,तू ही कुछ मोहलत दे
अत्ता करने हैं अभी
कुछ क़र्ज़ ज़िन्दगी के
अदा करने हैं अभी
कुछ फ़र्ज़ ज़िन्दगी के
पेशतर इसके,हो जाऊं
इस ज़हान से रुक्सत
चंद फ़र्ज़ अदा करने की,
ऐ मौत, तू ही कुछ मोहलत दे
अधूरी है तमन्ना अभी
मंजिलों को पाने की
पेशतर इसके
खो जाऊं,
गुमनाम अंधेरों में
चंद चिराग रोशन करने
ए मौत,तू ही कुछ मोहलत दे
रजनी छाबरा