Thursday, October 29, 2009

ज़िन्दगी एक ग़ज़ल थी

ज़िन्दगी एक ग़ज़ल थी
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ज़िन्दगी एक ग़ज़ल थी
अब अफसाना बन गयी
नियामत थी साथ तेरे
बाद तेरे सांस लेने का
बहाना बन गयी


रजनी छाबड़ा