Monday, October 5, 2009

आज की नारी

आज की नारी
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आज की नारी
अबला नहीं
जो विषम
परिस्थितियों मै
टूटी माला के
मोतियों सी
बिखर जाती है


आज की नारी
सबला है,जिसे
टूट कर भी
जुड़ने और जोड़ने की
कला आती है