Wednesday, December 30, 2009

यूं आना

यूं आना


स्वर्णिम किरणों के रथ पे सवार


नव वर्ष!तुम धरा के आँगन में


कुछ इस तरह से आना


संग अपने लाना


सौंधी माटी की महक


उन्मुक्त पाखी की चहक


संदली बयार


प्यार की फुहार


सावन के गीत सा


मितवा के मीत सा


नेह अमृत बरसाना


तुम कुमकुम सने पगों से आना



धरा को धानी चुनरिया ओड़ाना

खुशियों के फूल अंगना मह्के


नव वर्ष में सब के मन चहकें


रजनी छाबड़ा