Expression
Saturday, August 29, 2009
नई पहचान
अंधकार को
अपने दामन मैं समेटे
ज्यों दीप
बनाता है
अपनी रोशन पहचान
यूँ ही तुम
अश्क समेटे रहो
ख़ुद मैं
दुनिया को दो
सिर्फ़ मुस्कान
अपनी अनाम
ज़िन्दगी को
यूँ दो
एक नई पहचान
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