Sunday, May 19, 2013

उन्मुक्त हंसी का जो झरना 
भेजा तुमने मेरे आँगन मैं 

किलकारियों की गूंज से 
खुशहांल किया घर आँगन 

शुक्र गुजार हूँ तुम्हारी ,
ए खुदा ,इस नन्हे फ़रिश्ते के लिए 

घर आँगन मैं 
यह जो नन्ही पौध 
लहराने लगी है, 
मेरे बेटे का बचपन भी 
दोहराने लगी है/


प्रिय प्रत्युष को पहले जन्मदिन की बहुत बहुत मुबारक 

रजनी छाबड़ा (  दादी माँ )

Thursday, May 16, 2013

तेरे बिना

तेरे बिना

तेरे बिना
दिल यूं
बेकरार
रहता है

दिन उगते ही
शाम ढलने का
इंतज़ार रहता है 

Tuesday, May 7, 2013

बन्दगी

बन्दगी
=====
एहसास कभी मरते नहीं 
एहसास जिंदा हैं 
तो ज़िंदगी है 

वक़्त के आँचल मैं सहेजे 
लम्हा लम्हा एहसास 
ख़ुदा की बन्दगी हैं