Expression
Wednesday, January 26, 2022
असहज
असहज
********
इन दिनों
उम्र के ठहरे पड़ाव पर
ज़िन्दगी की चाल
है सहज
फिर यकायक
क्यों हो जाते हैं
हम असहज
शायद इसलिए महज
कि एक अर्से से
कुछ नया
नहीं रचा
ढर्रे पर चल रही
ज़िन्दगी में
कुछ भी
करने को नहीं बचा
@ रजनी छाबड़ा
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)