Friday, October 16, 2009

सौहार्द की दिवाली

मेरा भारत महान
धरती के सीने पर सजे
विविधताओं के थाल समान
समेटे हर मजहब,जात पात
सम्प्रदाय ,संस्कृति और भाषा
मन मैं बस रही
बस एक ही अभिलाषा
हिंदू,मुस्लिम,सिख ,ईसाई
समझें एक दूसरे को भाई भाई
सब धेर्मों और संस्कृति का लेकर सार
करें इस देश की सार संम्भाल
सभी कर ले मन मैं एक विचार
दिवाली बने सौहार्द का त्यौहार
सब धरम दिए समान
आलोकित करें देश का आँगन
धर्म निरपेक्षता का तेल
मन दिए मैं
बनाये संबंधों को प्रगाढ़
दे कर प्यार का
उपहार

इस अंदाज़
से मने दिवाली का त्यौहार
मन मैं कोई दुर्भाव
न हो
जात धरम
का विचार न हो
बंध कर एकता के सूत्र मैं
जगमगाए यह देश महान