Thursday, November 13, 2025

साक्षी


साक्षी 

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मुझे उम्र छुपाने में नहीं 

उम्र जताने में 

सुकून  मिलता है/


क्यों अपने चेहरे को 

मेक अप के आवरण से 

ढकने की कोशिश करना 

यह जो चेहरे पर झुर्रियां 

झलकने लगी हैं 

यह तो खूबसूरत साक्षी हैं 

ज़िन्दगी के धूप छाँव के पलों की 

यह आड़ी तिरछी रेखाएं 

इंगित करती है गिनती 

उन तजुर्बों की 

जो हमने बरसों 

ज़िंदगी के सफर में बटोरे /


कंधे भी झुकने लगें हैं 

थोड़ा थोड़ा , शायद 

तजुर्बों की गठरी के बोझ से /


इस आपाधापी भरे जीवन में 

हर एक के नसीब में नहीं होता 

यह मुक़ाम /

रजनी छाबड़ा