Wednesday, December 20, 2023

हिंदी कविता का डॉ. शिव प्रसाद द्वारा किया गया मैथिली अनुवाद



मित्रों , आप सब के साथ अपनी हिंदी कविता का डॉ. शिव प्रसाद द्वारा किया गया मैथिली अनुवाद सांझा  करते  हुए हर्षित हूँ/ ज्ञात रहे कि इस से पूर्व डॉ साहिब मेरे दो हिंदी काव्य संग्रहों पिघलते हिमखंड व् होने से न होने तक का मैथिली में अनुवाद कर चुके हैं/ हार्दिक आभार इस निहायत खूबसूरत अनुवाद के लिए/


 DrSheo Kumar

पूर होयबासँ किएक डराएत छी?
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साइत एहिलेल कि
देखैत अबै छी जे
पुर्णिमाक चान
सकल संसारकें
अपन आभासँ नहेबाक बाद
अपन पूरमपनसँ छीजऽ लगैत अछि
नहु-नहु अन्हार राति दिस
घुसकऽ लगैत अछि
भरल -पुरल आनन्दक पऽलकें बाद
हमर आनन्दक चानो
नहु -नहु
की अमवसिया दिस
बढ़ऽ लगते?
उदास अन्हरिया रातिक बाद
इजोत आपस औतै
जेना कि अमवसियाक बाद
चान फेरसँ नहु -नहु
चाननीकें
कोरमे समेटै छै
बढ़बा -घटबाक
काज -बेपार
अहिना चलैत रहैत छैक।