फूलों से नाज़ुक पाँव से
ठिठक ठिठक कर
डगमगाते क़दमों से
चलने का प्रयास
पाँव ने अभी अभी तो
धेरती पैर टिकना सीखा है
गिरते,उठेते
लचकते संभलते
फिर चलते
ममत्व का हाथ थामे
आंखों मैं मूक अनुमोदन
की आस
ममत्व और स्नेह से
संबल लेता
प्रयास
सफलता
की किलकारी
पैंजनिया की रुनझुन से
गूंज उठती
घेर फुलवारी