Friday, January 29, 2016

खामोश लब

खामोश लबों की
अपनी ज़ुबान होती है
हर एक दास्तान
आँखों से बयान होती है

समझ सकते हैं इसे
तन्हा मोहब्बत भरे दिल
महफ़िल ए दुनिया
इस से अनजान होती है

रजनी छाबड़ा 

Sunday, January 10, 2016

खिलौनों सरीखे

या! खुदा 
हर घर में  
खिलौनों सरीखे 
बच्चे दे 
और बच्चों को खिलोने दे 

सुख की नींद 
 और बिछौने दे 
ममता की छाँव 
और सपने सलोने दे 


किलकिलाते रहें 
खिलखिलाते रहे
आँखों में आसूँ 
न कभी होने दे  

 रजनी छाबड़ा