Tuesday, June 27, 2023

कोशिश

 कोशिश 

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लाख की कोशिशें , पर ना सुलझे पहेली

काश! सुनती सबकी,  पर चलती अकेली

छूटते हुए रिश्ते, उलझते जज़्बात

समझ ना पा रही ये हालात

उनकी खुशी नाखुश कर जाए, मालूम ना था

होते अकेले अच्छा होता, मनाने का बोझ तो ना था

कल की चिंता काल बन गई

आज की जीत होते हुए भी, हार बन गई

कल मरने का डर कैसा, जब आज जीने की शुरुआत नहीं

ये सोच सोच , बातें परेशान कर गईं

लाख की कोशिशें , पर ना सुलझे पहेली

काश! सुनती सबकी,चलती अकेली।


सुरभि सरदाना