Thursday, June 22, 2023

1. सुरंग

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पहाड़ का सीना चीर  के

 बनायी जाती है सुरंग 

अंधेरों की राह 

पार कर के 

जीवन में मिलते 

उमंग और तरंग /



2.हम रहनुमा तुम्हारे

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सदियों से 

अडिग खड़े हैं 

राह किनारे 

मौन तपस्वी से 

सहते सहजता से 

आँधी , तूफ़ान के थपेड़े 

झुलसाती धूप 

सिहराती, ठिठुराती सर्दी 

पतझड़ और बहारें 

हर हाल में तटस्थ 

नहीं शिक़वा किसी से 

कोई संग चलने के लिए 

पुकारे या न पुकारे 


भटकते राहगीरों को 

दिशा दिखाते 

 हम मील के पत्थर 

हम रहनुमा तुम्हारे/


मेरी यह कवितायेँ मौलिक व् अप्रकाशित हैं/

रजनी छाबड़ा 

नारी अभिव्यक्ति मंच, पहचान के आगामी काव्य संकलन हेतु ,