1. सुरंग
****
पहाड़ का सीना चीर के
बनायी जाती है सुरंग
अंधेरों की राह
पार कर के
जीवन में मिलते
उमंग और तरंग /
2.हम रहनुमा तुम्हारे
***************
सदियों से
अडिग खड़े हैं
राह किनारे
मौन तपस्वी से
सहते सहजता से
आँधी , तूफ़ान के थपेड़े
झुलसाती धूप
सिहराती, ठिठुराती सर्दी
पतझड़ और बहारें
हर हाल में तटस्थ
नहीं शिक़वा किसी से
कोई संग चलने के लिए
पुकारे या न पुकारे
भटकते राहगीरों को
दिशा दिखाते
हम मील के पत्थर
हम रहनुमा तुम्हारे/
मेरी यह कवितायेँ मौलिक व् अप्रकाशित हैं/
रजनी छाबड़ा
नारी अभिव्यक्ति मंच, पहचान के आगामी काव्य संकलन हेतु ,