Wednesday, January 13, 2021

सेवा निवृति के बाद,  लम्बे अंतराल के उपरांत,अपने शहर बीकानेर में लम्बे अरसे तक रहना सुकून से भरपूर लग रहा है/मेरा सौभाग्य है कि मेरे शहर के लोग मुझे अब भी पहले जैसा स्नेह और सम्मान देते हैं / कोरोना काल के चलते , अभी सामूहिक स्तर पर मिलना जुलना उचित नहीं लग रहा , इस लिए अपने साहित्यिक दायरे के केवल बहुत करीबी, पुराने  मित्रों से गत सप्ताह से अपने निवास पर मिलने का सिलसिला शुरू किया है/

इसी क्रम में आज राजस्थानी व् हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि व् आलोचक डॉ. नीरज दईया से मुलकात  हुई व् उनके द्वारा रचित कुछ कृतियाँ व् अनुकृतियाँ भी , उनके कर  कमलों से प्राप्त हुई / हार्दिक आभार डॉ. नीरज /

Wednesday, January 6, 2021


 आप सभी सुधि पाठकों के साथ अपनी खुशी सांझा करते हुए सुकून मिल रहा है/

मेरे हिंदी काव्य संग्रह' पिघलते हिमखंड ' का तेजिंदर चण्डहोक जी द्वारा किया गया पंजाबी अनुवाद 'पिघलदा हिमालया' प्रकाशित हो चुका है/ अनुवादक महोदय ने यह सूचना मुझे कल दी/ इस से २ वर्ष पूर्व तेजिंदर जी मेरे प्रथम हिंदी काव्य संग्रह ' होने से न होने तक ' का पंजाबी में अनुवाद कर चुके है / प्रभु से प्राथना है कि सद्य प्रकाशित काव्य- अनुकृति को भी पूर्व प्रकाशित काव्य संग्रह जैसी लोकप्रियता प्राप्त हो/

हार्दिक आभार तेजिंदर जी का/

 पिघलते हिमखंड का मैथिली में उत्कृष्ट अनुवाद तीन वर्ष पूर्व डॉ. शिव कुमार प्रसाद ने किया /

उम्मीद करती हूँ, इस वर्ष नेपाली में अनुवाद भी उपलब्ध हो पायेगा/