सेवा निवृति के बाद, लम्बे अंतराल के उपरांत,अपने शहर बीकानेर में लम्बे अरसे तक रहना सुकून से भरपूर लग रहा है/मेरा सौभाग्य है कि मेरे शहर के लोग मुझे अब भी पहले जैसा स्नेह और सम्मान देते हैं / कोरोना काल के चलते , अभी सामूहिक स्तर पर मिलना जुलना उचित नहीं लग रहा , इस लिए अपने साहित्यिक दायरे के केवल बहुत करीबी, पुराने मित्रों से गत सप्ताह से अपने निवास पर मिलने का सिलसिला शुरू किया है/
इसी क्रम में आज राजस्थानी व् हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि व् आलोचक डॉ. नीरज दईया से मुलकात हुई व् उनके द्वारा रचित कुछ कृतियाँ व् अनुकृतियाँ भी , उनके कर कमलों से प्राप्त हुई / हार्दिक आभार डॉ. नीरज /
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