Tuesday, May 23, 2017

                       रिपु दमन

किसी भी उद्देश्य हेतु लड़ने के लिए
चिन्हित कीजिये अपने अवरोध, अपने शत्रु
वर्गीकृत कीजिये और खोजिये अपने शत्रु
और खोजिये इस शत्रुता के आरम्भ होने की वजह

किसी भी युद्ध को शुरू करने से पूर्व
सौ बार सोचिए अपनी नीतियों के बारे में
अपनी शक्ति का आँकलन कीजिये
और आंकिये ताकत अपने शत्रु  की
शुरू कीजिये युद्ध उसके विरुद्ध
जो मुख्य शत्रु चिन्हित किया आपने


वासना, क्रोध, लोभ ,मोह,
ईर्ष्या और घमण्ड
यह छः हमारे बरसों पुराने शत्रु  हैं
बारम्बार अपने बुरे चेहरे
हमें दिखाते हुए


अपनी समस्याएं घटाने के लिए
अपनी समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए
अपने पुरातन रिपुओं को जानिए


प्यार उपजता है वासना से
और सौन्दर्य  कामुकता  से
क्रोध जन्मता है गहरे उद्धवेग
आशा उपजती है लोभ से
मोह जगाता है ध्यान आकर्षण
प्रबल इच्छा उपजती है
ईर्ष्या के वशीभूत होने से
और अनूठे होने का एहसास अहंकार से


अंतंतः इन सब पहलुओं को विचारते हुए
हमें स्वीकारनी ही होगी यह ललकार
लोभ के विरुद्ध लड़ने की
जिसने की पगला रखा है हमें
इस अनूठी धरा पर

हमें जीतना ही होगा यह युद्ध
करना ही होगा रिपुदमन/

मूल लेखन बंगला में:  डॉ श्यामल मजूमदर, बंगलादेश के प्रख्यात कवि व् अनुवादक 
 व् उनकी अनुमति से हिंदी में मेरे अनुवाद कार्य 

रजनी छाबड़ा 
बेंगलुरु 

Wednesday, May 17, 2017

जज़्बात बहते हैं

जज़्बात  बहते हैं

मैं लिखती नहीं
कागज़ पर
मेरे जज़्बात
बहते हैं


कह न पायी
जो कभी दबे होंठों से
वही अनकही
कहानी कहते हैं /

रजनी छाबड़ा


Saturday, May 13, 2017

माँ



माँ
****

मातृत्व का अर्थ
जीवन का विस्तार
स्नेह, प्यार, आधार
विश्वास अपरम्पार
त्याग, सामंजस्य का भण्डार
सृजन से, विलीन होने तक
इस ममत्व का कभी न होता अंत
माँ जाने के बाद भी
आजीवन बसर करती
 यादों में अनंत

रजनी छाबड़ा 

Friday, May 12, 2017

महसूस किया है मैंने

तुझको देखा नहीं
महसूस किया है मैंने
अनछुए स्पर्श से
सांसों में जिया है मैंने


इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी अभी लिखी एक नज़म

फख्त नज़रों से दूर रहने से
कभी दिल से दूर रहा है कोई

ख़ामोश लब रहें, आँखे बोलती है
हाल ए दिल बयाँ  करने से मज़बूर रहा है कोई

तेरी याद में खाली गया न दिन कोई
यह सिलसिला रातों को भी थाम सका है कोई

नम आँखों से तुझे याद करता हैं हरदम कोई
यादो की रवानी रोक सकता है कभी कोई


रजनी छाबड़ा