बिसरा दिया है हमने
बापू के तीन बंदरों को
अब तो बस
बुरा देखते है
बुरा बोलते हैं
बुरा सुनते हैं
गौतम और
गांधी की धरती
अब अक्सर है
रोती बिसूरती
बिसरा दिया है
हमने अहिंसा के
परम धर्म को
खून से लथपथ
मेरे बापू की धरती
गांधी सा मसीहा
धरती पर बार बार
न आयेगा
कौन हमें दुबारा
सत्य अहिंसा का
सबक सिखायेगा
क्यों न हम ख़ुद ही
मसीहा बने शांति के
अग्रदूत बने
गांधी की
वैचारिक क्रांति के
भुला कर ऊंच नीच
जात पात धर्म
का भेदभाव
भारत ही नही
सम्पूर्ण विशव में
लायें सद्भावना
का
सैलाब
रजनी छाबड़ा
बापू के तीन बंदरों को
अब तो बस
बुरा देखते है
बुरा बोलते हैं
बुरा सुनते हैं
गौतम और
गांधी की धरती
अब अक्सर है
रोती बिसूरती
बिसरा दिया है
हमने अहिंसा के
परम धर्म को
खून से लथपथ
मेरे बापू की धरती
गांधी सा मसीहा
धरती पर बार बार
न आयेगा
कौन हमें दुबारा
सत्य अहिंसा का
सबक सिखायेगा
क्यों न हम ख़ुद ही
मसीहा बने शांति के
अग्रदूत बने
गांधी की
वैचारिक क्रांति के
भुला कर ऊंच नीच
जात पात धर्म
का भेदभाव
भारत ही नही
सम्पूर्ण विशव में
लायें सद्भावना
का
सैलाब
रजनी छाबड़ा