Wednesday, February 24, 2010

apni pehchaan

अपनी पहचान
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खुद से रु ब रु होने के बाद भी
हम अपनी पहचान के लिए
आईने  क्यों तलाशते हैं
आईने झलक दिखा देते हैं
जिस्मानी अक्स की
रुहानी अक्स की पहचान
हम इन में कहाँ पाते हैं