Friday, April 5, 2019

ચાહ્વઊં

જો ચાહ્વઊં
એક ગુનો છે
તો કેમ નમે છે
આકાશ જમીન પર
કેમ ફરે છે જમીન
 સુરજ ને આજુ બાજુ??

चाहत


गर चाहत
एक गुनाह है
तो क्यों झुकता है
आसमान धरती पर
क्यों घूमती है धरती
सूरज के गिर्द
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ખામોશ છુ 75
જીભ માં પણ રાખું ચુ
પણ ચૂપ ચુ
શુ આપુ
દૂનિયા ના
પ્રશ્ર્ન ના જવાબ
જિંદગી જયારે પોટે
એક પશ્ન
બની ને રાય ગઈ છે


 खामोश हूँ 


जुबां मैं भी रखती हूँ,
मगर खामोश हूँ 

क्या दूं 
दुनिया के 
सवालों के जवाब 
ज़िन्दगी जब खुद 
एक सवाल 
बन कर रह गयी 

आज सब सुधि पाठकों के साथ साँझा कर रही हूँ मेरे प्रथम हिंदी काव्य संग्रह 'होने से न होने तक ' से मेरी २ क्षणिकाओं का गुजराती में अनुवाद/  अनुवाद किया है मेरी fb मित्र व् मौसेरी बहन प्रिय अलका मालिक ने/ मेरे लिए अत्यन्त हर्ष का विषय है कि इस संग्रह की चुनिंदा कविताओं का अनुवाद राजस्थानी, पंजाबी, बंगाली , नेपाली व मराठी में भी हो चुका है/
रजनी छाबड़ा