Tuesday, October 6, 2009

मन के बंद दरवाजे

इस से पहले की

अधूरेपन की कसक

तुम्हे चूर चूर कर दे

ता उमर हंसने

से मजबूर कर दे

खोल दो

मन के बंद दरवाजे

और घुटन को

कर लो दूर

दर्द हर दिल

मैं बस्ता है

दर्द से सभी का

पुश्तेनी रिश्ता है

कुछ उनकी सुनो

कुछ अपनी कहो

दर्द को सब

मिल जुल

कर सेहो

इस से पहले की दर्द

रिस रिस बन जाए नासूर

लगाकर हमदर्दी का मरहम

करो दर्द को कोसों दूर

बाँट लो सुख दुःख को

मन को,जीवन को

अमृत से

कर लो भरपूर

खोल लो मन के

बंद दरवाजे

और घुटन को

कर लो दूर