Friday, July 23, 2021

उपहार पा कर  ख़ुश  होना हमारा विशिष्ट मानवीय स्वभाव है/ यह खुशनुमा एहसास और भी बढ़ जाता है , जब लेखक आशीष भरे वचनों के साथ, सस्नेह उपहार दें और अत्यन्त विनम्रता पूर्वक भी/ 

ऐसा ही खुशी भरा दिन है आज मेरे लिए/ पंजाबी और हिंदी के सशक्त हस्ताक्षर मान्यवर ओम  प्रकाश गासो जी ने आज मुझे हिंदी की २ नवीनतम काव्य कृतियाँ डाक से प्रेषित की/ कुछ दिनों पूर्व, तेजिंदर चण्डहोक जी ने उन्हें मेरे हिंदी काव्य संग्रह पिघलते हिमखंड का उनके द्वारा किया गया पंजाबी अनुवाद पिघलदा हिमालय भेंट किया था/ गासो जी को पुस्तक बहुत पसंद आयी / उनकी किताबों के साथ ही साथ उनका पत्र भी प्राप्त हुआ जिस में उन्होंने लिखा , " रजनी छाबड़ा की रचना पिघलता हिमालय पढ़ कर मैं पिघल गया / पिघल जाना पानी जैसा होता है ;  मन में लहार सी उठी /''  उनके स्नेहिल व्यवहार से अभिभूत हूँ/ बरनाला साहित्य जगत में उन्हें सब बापू जी कह कर  सम्बोधित करते हैं/

बापू जी की आभारी हूँ ,उनके आशीर्वचन और अमूल्य उपहार के लिए/